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गीत (संबंध)

गीत(संबंध)

मैंने जो संबंध बनाया,
उसको तुम्हें निभाना है।
उभय बीच जो रहीं दूरियाँ,
मिलकर उन्हें मिटाना है।।

एक अकेला चला न पाए,
जीवन-नैया भारी जो।
चला भला सकता वह कैसे,
नहीं अगर घरबारी जो?
दोनों कदम बढ़ा जो चलता,
मिलता उसे खज़ाना है।।
     मिलकर उन्हें मिटाना है।।


सुख-दुःख पहलू हैं जीवन के,
इनका आना-जाना है।
तम-प्रकाश का मेल सत्य है,
फिर क्यूँकर घबराना है?
जैसे दिन का स्वागत करते,
भाव रात वह लाना है।।
      मिलकर उन्हें मिटाना है।।

समय-ताल को जो पहचाने,
सफल उसी का जीवन है।
बहे पवन उस दिश में उड़ना,
होता कष्ट-विमोचन है।
करे कर्म जो निज विवेक से,
जग ने उसको जाना है।।
      मिलकर उन्हें मिटाना है।।

हो सशक्त संबंध-डोर जब,
बंधन नहीं कभी टूटे।
रहे बँधी गठरी जब ढीली,
उसे लुटेरा तब लूटे।
नहीं टूटने पाए बंधन,
बस यह राज बताना है।।
     उभय बीच जो रहीं दूरियाँ,
     मिलकर उन्हें मिटाना है।।
             ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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3 Comments

Renu

03-Mar-2023 10:07 PM

👍👍🌺

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Sachin dev

03-Mar-2023 07:20 PM

Nice

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बहुत खूब

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